याद रखो
दुसरेके द्वारा तुम्हारा तनिक-सा भी उपकार या भला हो अथवा तुम्हें सुख पहुँचे तो उसका ह्रदय से उपकार मानो, उसके प्रति कृतज्ञ बनो, यह मत समझो कि यह काम मेरे प्रारब्धसे हुआ है, इसमें उसका मेरे ऊपर क्या उपकार है, वह तो निमित्तमात्र है! बल्कि यह समझो कि उसने निमित्त बनकर तुमपर बड़ी ही दया कि है! उसके उपकारको जीवनभर स्मरण रखो, स्थिति बदल जानेपर उसे भूल न जाओ और सदा उसकी सेवा करने तथा उसे सुख पहुँचानेकी चेष्टा करो; काम पडनेपर हजारों आदमियोंके सामने भी उसका उपकार स्वीकार करनेमें संकोच न करो; ऐसा करनेसे परस्पर प्रेम बढेगा, आनन्द और शान्तिकी वृद्धि होगी, लोगोंमें दुसरोंको सुख पहुँचानेकी प्रवृत्ति और इच्छा अधिकाधिक उत्पन्न होगी; सहानुभूति और सेवाके भाव बढेंगे!