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    निरन्तर भगवान् का नामस्मरण होता रहे l इस से बढ़कर और क्या करना है l निरन्तर नामस्मरण ही भगवान् का सानिध्य प्राप्त कराने में पूर्ण समर्थ है l पाँच बातों का ख्याल रखिये -
        १- पापकर्म (कम-से-कम शरीर से तो न हो) l
        २- व्यर्थ चर्चा न हो l
        ३- किसी के साथ बुरा बर्ताव न हो  l
        ४- भगवान् के नाम की विशेष चेष्टा रहे l
        ५- भगवत्कृपा पर विश्वास हो l
        आप विष्णु भगवान् की उपासना करते हैं सो बहुत उत्तम है l ध्यान के लिए समय कम मिलता है, जो कुछ कभी मिलता है - वह दूसरे-दूसरे चिन्तन में बीत जाता है, लिखा सो ठीक है l नामस्मरण यदि होता रहे तो वह ध्यान ही है l
        पाप न हो, विषय चिन्तन न हो, आलस्य प्रमाद में समय न बीते, संसार का मोह न हो, एकमात्र भगवद चिन्तन में लगे हुए ही सब काम हो - आपकी यह सभी कामनाएं बहुत ही सराहनीय तथा अत्यंत उत्तम हैं l परन्तु मेरे कुछ लिख देने से ही पूरी हो जाएँगी, ऐसी बात नहीं है l आप इन की आवश्यकता का  पूरा अनुभव करेंगे और भगवत्कृपा पर विश्वास करके अध्यवसाय में लग जायेंगे तब भगवत्कृपा से ही ये पूरी होंगी l  इस के लिए आप श्री भगवान् से प्रार्थना कीजिये l


लोक-परलोक-सुधार-१(३५३)                

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