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सुखी होने का सर्वोत्तम उपाय -2-


।। श्री हरि: ।।

आज की शुभ तिथि पंचांग
 पौष शुक्ल, त्रयोदशी,वीरवार, वि० स० २०६९


भगवान ही कालस्वरुप है, अनादी है । जब सृष्टी का सृजन होता है तो पहले भगवान काल का स्मरण करते है । एकोअहम बहु स्यामकाल भगवान का स्वरुप है और यह निरन्तर चलता है । सब चीजें रुक जायेंगीं, लेकिन काल नहीं रूकेगा । समय व्यतीत होना बंद नहीं होगा । ये काल देवता रुकेंगे नहीं । मौत आ ही जायेगी ।चाहे हम रोते रहे या हँसते रहे । चाहे अपने मन में कलपते रहे, चाहे मन में संतोष करके रहे । काल तो मानेगा नहीं और मृत्यु आ जाएगी । मृत्यु आई कि यहाँ का सब समाप्त हो जायेगा ।

हम पहले कहीं तो थे । किसी-न-किसी जगह हम पहले थे । चाहे कुत्ता,बिल्ली हों, चाहे देवता हों, आदमी हों,वहाँ हमारा परिवार होगा ही । हमे क्या आज उसकी चिन्ता है ? आज उसका स्मरण करते है क्या ? यदि कोई बता दे कि पहले तुम्हारा वह परिवार था, तब कहेंगे रहा होगा । अब तो यह है ।यही हाल यहाँ भी होगा । यहाँ से जब मर जायेंगे तो जैसे उसको भूल गये, वैसे ही इसको भी भूल जायेंगे । सम्बन्ध टूट जायेगा । इसलिये यहाँ से सम्बन्ध पहले से तोड़ कर भगवान से जोड़ ले और भगवान के नाते इसकी सेवा करे । सेवा करने में आपत्ति नहीं है, परन्तु भोगों में आस्था करके, भोगो में विश्वास करके, भोगों की प्राप्ति में सुख-दुःख की कल्पना करके हम रहेंगे तो जीवन में तीन चीजे मिलेंगी अशान्ति, दुःख और पाप ।

 शेष अगले ब्लॉग में...

श्री मन्न नारायण नारायण नारायण.. श्री मन्न नारायण नारायण नारायण... नारायण नारायण नारायण....  

नित्यलीलालीन श्रद्धेय भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार, कल्याण अंक,वर्ष ८६,संख्या १०,पृष्ट संख्या ९३९ ,गीताप्रेस, गोरखपुर

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