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षोडश गीत

                श्रीराधा-माधव-रस-सुधा 
                        [षोडश-गीत]
                 महाभाव रसराज वन्दना 
दो‌उ चकोर, दो‌उ चंद्रमा, दो‌उ अलि, पंकज दो‌उ।
दो‌उ चातक, दो‌उ मेघ प्रिय, दो‌उ मछरी, जल दो‌उ॥
आस्रय-‌आलंबन दो‌उ, बिषयालंबन दो‌उ।
प्रेमी-प्रेमास्पद दो‌उ, तत्सुख-सुखिया दो‌उ॥
लीला-‌आस्वादन-निरत, महाभाव-रसराज।
बितरत रस दो‌उ दुहुन कौं, रचि बिचित्र सुठि साज॥
सहित बिरोधी धर्म-गुन जुगपत नित्य अनंत।
बचनातीत अचिन्त्य अति, सुषमामय श्रीमंत॥
श्रीराधा-माधव-चरन बंदौं बारंबार।
एक तव दो तनु धरें, नित-रस-पाराबार॥


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