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पदरत्नाकर

[ ६३ ]
राग जोगताल दीपचंदी

बिना याचनाके ही देते रहते नित्य शक्ति तुम नाथ! 
करते सदा सँभाल, छिपे तुम अविरत रहते मेरे साथ॥
देते तुम निर्भयता, नित्य निरामयता, निज आश्रय-दान।
देते शुभ विचार, शुभ चिन्तन, शुभ जीवन, शुभ कर्म महान॥
देते प्रेम प्रेम-सागर!   तुम देते स्वार्थहीन अनुराग।
देते सुख शाश्वत आत्यन्तिक मिटा सभी दु:खोंके दाग॥
एक चाहते, इन सबके बदलेमें तुमअविचल विश्वास।
पर मैं हीन उसीसे, तब भी होता नहीं कदापि निराश॥
तुम्हीं मुझे विश्वास-दान दो, तुम्हीं करो मेरा उद्धार।

ख्यात पतित-पावन, पामर-प्रेमी तुम, हे प्रभु!   परम उदार॥

-नित्यलीलालीन भाईजी श्रीहनुमान प्रसादजी पोद्दार 


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