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सत्संग के बिखरे मोती

सत्संग के बिखरे मोती

सत्संग के बिखरे मोती

सत्संग के बिखरे मोती

षोडश गीत

  (१५) श्रीकृष्णके प्रेमोद्गार—श्री राधा के प्रति (राग भैरवी-तीन ताल) राधा ! तुम-सी तुम्हीं एक हो, नहीं कहीं भी उपमा और। लहराता अत्यन्त सुधा-रस-सागर, जिसका ओर न छोर॥ मैं नित रहत...

षोडश गीत

(१३) श्रीकृष्णके प्रेमोद्गार—श्री राधा के प्रति (राग वागेश्री-तीन ताल) राधे ! तू ही चित्तरंजनी, तू ही चेतनता मेरी। तू ही नित्य आत्मा मेरी, मैं हूँ बस, आत्मा तेरी॥ तेरे जीवनसे ...