॥ श्रीहरिः ॥ आज की शुभतिथि-पंचांग वैशाख कृष्ण पंचमी , मंगल वार , वि० स० २०७० याद रखो ...... यदि कभी किसी जीवको तुम्हारे द्वारा कुछ भी कष्ट पहुँच जाय तो उससे क्षमा माँगो , अभिमान छोड़कर उसके सामने हाथ जोड़कर उससे दया- भिक्षा चाहो , हजार आदमियोंके सामने भी अपना अपराध स्वीकार करनेमें संकोच न करो , परिस्थिति बदल जानेपर भी अपनी बात न बदलो , उसे सुख पहुँचाकर उसकी सेवा करके अपने प्रति उसके हृदयमें सहानुभूति और प्रेम उत्पन्न कराओ ! यह ख़याल मत करो कि कोई मेरा क्या कर सकता है ? मैं सब तरहसे बलवान् हूँ , धन , विद्या , पद आदिके कारण बड़ा हूँ ! वह कमजोर-अशक्त मेरा क्या बिगाड़ सकेगा ? ईश्वरके दरबारमें कोई छोटा-बड़ा नहीं है ! वहाँके न्यायपर तुम्हारे धन , विद्या और पदोंका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ! कमजोर-गरीबकी दुःखभरी आह तुम्हारे अभिमानको चूर्ण करनेमें समर्थ होगी! तुम्हारे द्वारा दूसरेके अनिष्ट होनेकी छोटी-से-छोटी घटना भी तुम्हारे हृदयमें सदा शूलकी तरह चुभने चाहिये , तभी तुम्हारा हृदय शीतल होगा और तुम पापमुक्त हो सकोगे ! — श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्दार भा
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