॥श्रीहरिः॥
आज की शुभतिथि-पंचांग
वैशाख कृष्ण तृतीया, रविवार, वि० स० २०७०
किसीपर कभी अहसान न करो कि मैंने तुम्हारा उपकार किया है ! अहसान
करोगे तो उसपर भारी बोझ पड़ जायगा ! वह दु:खी होगा,
आइन्दे तुम्हारी सेवा स्वीकार करनेमें उसे संकोच होगा ! उसके अहसान
न माननेसे तुम्हें दुःख होगा, तुम उसे कृतघ्न समझोगे,
परिणाममें तुम्हारे और उसके दोनोंके हृदयोंमें द्वेष उत्पन्न हो
जायगा ! इस बातको भूल ही जाओ कि मैंने किसीकी सेवा की है !
याद रखो :-
तुम्हारे द्वारा किसी प्राणीका कभी कुछ भी अनिष्ट हो जाय या उसे दुःख पहुँच जाय तो इसके लिये बहुत ही पश्चात्ताप करो ! यह ख़याल मत करो कि उसके भाग्यमें तो दुःख बदा ही था, मैं तो निमित्तमात्र हूँ, मैं निमित्त न बनता तो उसको कर्मका फल ही कैसे मिलता, उसके भाग्य से ही ऐसा हुआ है, मेरा इसमें क्या दोष है, उसके भाग्यमें जो कुछ भी हो इससे तुम्हें मतलब नहीं !
तुम्हारे लिये ईश्वर और शास्त्रकी यही आज्ञा है कि
तुम किसीका अनिष्ट न करो! तुम किसीका बुरा करते हो तो अपराध करते हो और इसका दण्ड तुम्हें अवश्य भोगना पड़ेगा; उसे कर्मफल भुगतानेके लिये ईश्वर आप ही कोई दूसरा निमित्त बनाते, तुमने निमित्त बनकर पापका बोझा क्यों उठाया?
—श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्दार भाईजी, आनन्द की लहरें पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण
! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!!
नारायण !!!
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