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कल्याणकारी आचरण 


(जीवनमें पालन करनेयोग्य)


सिद्धान्तकी कुछ बातें --


१ - भगवान् एक ही हैं। वे ही निर्गुण -निराकार, सगुण-निराकार और सगुण -साकार हैं। लीलाभेदसे उन एकके ही अनेक नाम, रूप तथा उपासनाके भेद हैं। जगतके सारे मनुष्य उन एक ही भगवान् की विभिन्न प्रकारसे उपासना करते हैं, ऐसा समझे। 


२ - मनुष्य -जीवनका एकमात्र साध्य या लक्ष्य मोक्ष, भगवत्प्राप्ति या भगवत्प्रेमकी प्राप्ति ही है, यह दृढ़ निश्चय करके प्रत्येक विचार तथा कार्य इसी लक्ष्यको ध्यानमें रखकर इसीकी सिद्धिके लिए करे।


३ - शरीर तथा नाम आत्मा नहीं है। अतः शरीर तथा नाममें 'अहं' भाव न रखकर यह निश्चय रखे की मैं विनाशी शरीर नहीं, नित्य आत्मा हूँ। उत्पत्ति, विनाश, परिवर्तन शरीर तथा नामके होते हैं -- आत्माके कभी नहीं।


४ - भगवान् का साकार-सगुण स्वरुप सत्य नित्य सच्चिदानन्दमय है। उसके रूप, गुण, लीला सभी भगवत्स्वरूप हैं। वह मायाकी वस्तु नही है। न वह उत्पत्ति -विनाशशील कोई प्राकृतिक वस्तु है।


५ - किसी भी धर्म, सम्प्रदाय, मतसे द्वेष न करे; किसीकी निंदा न करे। आवश्यकतानुसार सबका आदर करे। अच्छी बात सभीसे ग्रहण करे; पर अपने धर्म तथा इष्टदेवपर अटल, अनन्य श्रद्धा रखकर उसीका सेवन करे।
  

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