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गोकुल में भगवान का जन्महोत्सव





नंदबाबा बड़े मनस्वी और उदार थे ! पुत्र का जन्म होने पर तो उनका विलक्षण आनंद भर गया ! उन्होंने स्नान किया और पवित्र  होकर सुन्दर-सुन्दर वस्त्राभूषण धारण किये ! फिर देवता और पितरों की विधिपूर्वक पूजा भी करवायी ! उन्होंने ब्राह्मणों को वस्त्र और आभूषण से सुसजित दो लाख गौए दान कीं ! रंत्नो और सुनहले वस्त्रों से ढके हुए तिलके सात पहाड़ दान किये !
ब्रजमंडल के सभी घरों में द्वार, आँगन और भीतरी भाग झाड़-बुहार दिए गए; उनमें सुगन्धित जल का छिडकाव किया गया; उन्हें चित्र-विचित्र ध्वजा-पताका, पुष्पों की मालाओं, रंग-बिरंगे वस्त्र और पल्लवों के वन्दनवारों से सजाया गया ! सभी ग्वाल बहुमूल्य वस्त्र, गहने अंगरखे और पगड़ियों से सुसज्जित होकर और अपने हाथों में भेंट की बहुत-सी सामग्रियां ले-लेकर नंदबाबा के घर आये !
यशोदाजी के पुत्र हुआ है, यह सुनकर गोपियों को भी बड़ा आनंद हुआ ! उन्होंने सुन्दर-सुन्दर वस्त्र, आभूषण और अंजन आदि से अपना श्रृंगार किया ! गोपियों के मुखकमल बड़े ही सुन्दर जान पड़ते थे ! वे बड़े सुन्दर-सुन्दर रंग-बिरंगे वस्त्र पहने हुए थीं ! नंदबाबा के घर जाकर वे नवजात शिशु को आशीर्वाद देतीं 'यह चिरंजीवी हो, भगवान ! इसकी रक्षा करो' ! और ऊँचे स्वर से मंगलगान करती थीं !

श्री प्रेम-सुधा-सागर  (३०)   

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