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भगवान् श्रीकृष्ण समस्त जगत के एकमात्र स्वामी हैं ! उनकी ऐश्वर्य, माधुर्य, वात्सल्य - सभी अनंत हैं ! वे जब नंदबाबा के ब्रज में प्रकट हुए, उस समय उनके जन्मका महान,उत्सव मनाया गया ! आनंद से मतवाले होकर गोपगण एक दूसरे के मुंह पर मक्खन मलने लगे और मक्खन फेंक-फेंककर आनंदोत्सव मनाने लगे ! नंदबाबा के अभिनन्दन करने पर परम सौभाग्यवती रोहिणी जी दिव्य वस्त्र, माला और गले के भांति-भांति के गहनों से सुसज्जित होकर गृहस्वामिनी की भांति आने-जाने वाली स्त्रियों का सत्कार करती हुई विचर रही थीं ! भगवान् श्री कृष्ण के निवास तथा अपने स्वाभाविक गुणों के कारण वह लक्ष्मी जी का क्रीड़ास्थल बन गया !
कुछ दिनों बाद नंदबाबा कर चुकाने के लिए मथुरा चले गए ! वहां वे वासुदेव जी से मिले और कहने लगे कि यह भी बड़े आनंद का विषय है कि आज हम लोगों का मिलना हो गया ! अपने प्रेमियों का मिलना भी बड़ा दुर्लभ है ! इस संसार का चक्र ही ऐसा है ! मनुष्य के लिए वे ही धर्म,अर्थ, और काम शास्त्रविहित हैं, जिनसे उसके स्वजनों को सुख मिले ! जिनसे केवल अपने को सुख मिलता है; किन्तु अपने स्वजनों तो दुःख मिलता है, वे धर्म,अर्थ और काम हितकारी नहीं है !
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