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श्रीकृष्ण का मथुरा जी में प्रवेश

अब आगे................ अनेक प्रकार के वस्त्रों से विभूषित दोनों भाई और भी अधिक शोभायमान हुए ऐसे जान पड़ते, मानो उत्सव के समय श्वेत और श्याम गजशावक भली भांति सजा दिए गए हों l भगवान् श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न हुए , उन्होंने उसे भरपूर धन-सम्पत्ति, बल-ऐश्वर्य, अपनी स्मृति और इन्द्रिय-सम्बन्धी शक्तियां दीं और मृत्यु के बाद के लिए अपना सारुप्य मोक्ष भी दे दिया l इसके बाद भगवान् श्रीकृष्ण सुदामा माली के घर गए l दोनों को देखते ही उसने पृथ्वी पर सिर रखकर उन्हें प्रणाम किया l और उसने प्रार्थना की - 'प्रभो ! आप दोनों के शुभागमन से हमारा जन्म सफल हो गया l हमारा कुल पवित्र हो गया l आप दोनों सम्पूर्ण जगत के परम कारण हैं l यद्यपि आप प्रेम करने वालों से ही प्रेम करते हैं l भजन करने वालों को ही भजते हैं - फिर भी आप की दृष्टि में विषमता नहीं है l क्योंकि आप समस्त प्राणियों और प्रदार्थों में समरूप से स्थित हैं l मैं आपका दास हूँ l भगवन ! जीव पर आपका यह बहुत बड़ा अनुग्रह है, पूर्ण कृपा-प्रसाद है कि आप उसे आज्ञा देकर किसी कार्य में नियुक्त करते हैं l सुदामा माली ने इस प्रकार प्रार्थना करने के बाद भगवान् का अभिप्राय जानकर बड़े प्रेम और आनन्द से भरकर अत्यंत सुन्दर-सुन्दर तथा सुगन्धित पुष्पों से गुँथे हुए हार उन्हें पहनाये l सुदामा माली ने उनसे यह वर माँगा कि 'प्रभो ! आप ही समस्त प्राणियों के आत्मा हैं l सर्वस्वरूप आप के चरणों में मेरी अविचल भक्ति हो l आप के भक्तों से मेरा सौहार्द, मैत्री का सम्बन्ध हो और समस्त प्राणियों के प्रति अहैतुक दया का भाव बना रहे' l भगवान् श्रीकृष्ण ने सुदामा को मांगे हुए वर दे दिए l इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण बलरामजी के साथ वहां से विदा हुए l श्रीप्रेम-सुधा-सागर(३०)

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