संत वाणी
- इश्वर का स्मरण करो तोह ऐसा करो के फिर दूसरी बार उसे याद करना ही न पड़े |
- अपने सब काम भूल कर सदा इश्वर का स्मरण करते रहो |
- परमात्मा के दर्शन में लीन होकर स्मरण करना भी भूल जाओ, यही उचे से उचा स्मरण है
- भाग्वादाश्रय और भगवान् नाम से पापो का समूल नाश हो जाता है यह निश्चित है |
- सारे संसार का एक ग्रास बना कर भी यदि बालक के मुह में दे दिया जाये तोह भी वह भूखा ही रहेगा | जिसका मन खान पान और गहने कपडे में बसा है, उसकी स्थितिपसु से भी गयी है |
- .पहने ओढने में सादगी का ख्याल रखना | शोकीनी की पोशाक और आडमभर से परे ही रहना |
- जिस समय लोग 'उन्मत' और 'मस्त' कह कर मेरी निंदा करेंगे तभी मेरे मन में गूढ़ तत्वज्ञान का उदय होगा |
- मनुष्य का सच्चा कर्तव्य क्या है ? इश्वर के सिवा किसी भी दूसरी चीज से प्रीती न जोढ्ना |
- जब ह्रदय में किसी से कुछ लेने की इच्छा ही नहीं तब जैसा हे धनि वैसे ही गरीब |
टिप्पणियाँ