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होली और उस पर हमारा कर्तव्य -5-


|| श्रीहरिः ||

आज की शुभतिथि-पंचांग

 फाल्गुन शुक्ल, चतुर्दशी, मंगलवार, वि० स० २०६९

 
गत ब्लॉग से आगे ......शास्त्र में कहा है-

१-किसी भी स्त्री को किसी भी अवस्था में याद करना, २-उसके रूप-गुणों का वर्णन करना,स्त्री-सम्बन्धी चर्चा करना या गीत गाना, ३-स्त्रियों के साथ तास, चौपड़, फाग आदि खेलना, ४-स्त्रियों को देखना, ५-स्त्री से एकान्त में बात करना, ६-स्त्री को पाने के लिए मन में संकल्प करना, ७-पाने के लिए प्रयत्न करना और ८-सहवास करना- ये आठ प्रकार के मैथुन विद्वानों ने बतलाये है, कल्याण चाहने वालो को इनसे बचना चाहिये | इनके सिवा ऐसे आचरणों से निर्लज्जता बढती है, जबान बिगड़ जाती है, मन पर बुरे संस्कार जम जाते है, क्रोध बढ़ता है, परस्पर में लोग लड़ पढ़ते है, असभ्यता और पाशविकता भी बढती है | अतएव सभी स्त्री-पुरुषों को चाहिये की वे इन गंदे कामो को बिलकुल ही न करे | इनसे लौकिक और परलौकिक दोनों तरह के नुकसान होते है |

फाल्गुन सुदी ११ से चैत्र वदी १ तक नीचे लिखे काम करने चाहिये |

१). फाल्गुन सुदी ११ को या और किसी दिन भगवान की सवारी निकालनी चाहिये, जिनमे सुन्दर-सुन्दर भजन और नाम कीर्तन हो |

२). सत्संग का खूब प्रचार किया जाए | स्थान-स्थान में इसका आयोजन हो | सत्संग में ब्रहचर्य, अक्रोध, क्षमा, प्रमाद्के त्याग, नाम महात्मय और भक्ति की विशेष चर्चा हो |

३). भक्ति और भक्तकी महिमा के तथा सदाचार के गीत गाये जाए |

४). फाल्गुन सुदी १५ को हवन किया जाए |

५). श्रीमध्भागवत और श्रीविष्णुपुराण आदि से प्रहलाद की कथा सुनी जाए और सुनाई जाए |

६). साधकगण एकान्त में भजन-ध्यान करे |

७). श्री चैतन्यदेव की जन्मतिथिका उत्सव मनाया जाये | महाप्रभु का जन्म होलीके दिन ही हुआ था | इसी उपलक्ष्य में मोहल्ले-मोहल्ले घूम-कर नामकीर्तन किया जाए | घर-घर में हरिनाम सुनाया जाए |

८). धुरेंडी के दिन ताल, मृदंग और झांझ आदि के साथ बड़े जोरों से नगर कीर्तन निकाला जाए जिसमे सब जाति और वर्णों के लोग बड़े प्रेम से शामिल हो |


श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्धार भाईजी, भगवतचर्चा पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर
नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण

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