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वशीकरण -९-


।। श्रीहरिः ।।
आज की शुभतिथि-पंचांग
माघ शुक्ल, षष्ठी, बुधवार, वि० स० २०७०

वशीकरण  -९-
द्रौपदी-सत्यभामा-संवाद
 

गत ब्लॉग से आगे....जो लोग तुम्हारे स्वामी के प्रेमी है, हितेषी है और सदा अनुराग रखते है उनको विविध प्रकार से भोजन कराना चाहिये और जो तुम्हारे पति के शत्रु हो, विपक्षी हो, बुराई करने वाले हो और कपटी हो उनसे सदा बची रहों । पर पुरुष के सामने मद और प्रमाद को छोड़कर सावधान और मौन रहन चाहिये और एकान्त में अपने कुमार साम्ब और प्रद्युम्न  के साथ भी कभी न बैठना चाहिये ।
 
सत्कुल में उत्पन्न होने वाली पुण्यवती पतिव्रता सती स्त्रियों के साथ मित्रता करना, परन्तु क्रूर स्वभाव वाली, दूसरों का अपमान करने वाली, बहुत खाने वाली, चटोरी, चोरी करने वाली, दुष्ट स्वभाव वाली और चंचल चित वाली स्त्रियों के साथ मित्रता (बहनेपा) कभी न करनी चाहिये ।

(महाभारत, वनपर्व अ० २३४) ‘तुम बहुमूल्य उत्तम माला और गहनों को धारण करके सदा स्वामी की सेवा में लगी रहो । इस प्रकार के उत्तम आचरणों में लगी रहने से तुम्हारे शत्रुओं का नाश होगा, परम सोभाग्य की वृद्धि होगी, स्वर्ग की प्राप्ति होगी और संसार तुम्हारे पुण्य यश की सुगन्ध से भर जायेगा ।’ (महाभारत से)                                                                   

                                                                                   
 श्रद्धेय हनुमानप्रसाद पोद्दार भाईजी, भगवच्चर्चा पुस्तक से, गीताप्रेस गोरखपुर, उत्तरप्रदेश , भारत  

नारायण ! नारायण !! नारायण !!! नारायण !!! नारायण !!! 

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