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सितंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

षोडश गीत

  (११) श्रीकृष्णके प्रेमोद्गार—श्री राधा के प्रति (राग शिवरजनी-तीन ताल) मेरा तन-मन सब तेरा ही, तू ही सदा स्वामिनी एक। अन्योंका उपभोग्य न भोक्ता है कदापि, यह सच्ची टेक॥ तन समी...

षोडश गीत

(९) श्रीकृष्णके प्रेमोद्गार—श्री राधा के प्रति (राग गूजरी-ताल कहरवा) राधे, हे प्रियतमे, प्राण-प्रतिमे, हे मेरी जीवन मूल ! पलभर भी न कभी रह सकता, प्रिये मधुर ! मैं तुमको भूल॥ श्वा...

षोडश गीत

     (७ ) श्रीकृष्णके प्रेमोद्गार—श्री राधा के प्रति (राग भैरवी तर्ज-तीन ताल) हे प्रियतमे राधिके ! तेरी महिमा अनुपम अकथ अनन्त। युग-युगसे गाता मैं अविरत, नहीं कहीं भी पाता अन्...

षोडश गीत

   (५ ) श्रीकृष्णके प्रेमोद्गार—श्री राधा के प्रति हे वृषभानुराजनन्दिनि ! हे अतुल प्रेम-रस-सुधा-निधान ! गाय चराता वन-वन भटकूँ, क्या समझूँ मैं प्रेम-विधान ! ग्वाल-बालकोंके सँग ...

सत्संग के बिखरे मोती

षोडश गीत

(३ ) श्रीकृष्णके प्रेमोद्गार—श्री राधा के प्रति   (राग भैरवी-तीन ताल) हे आराध्या राधा ! मेरे मनका तुझमें नित्य निवास। तेरे ही दर्शन कारण मैं करता हूँ गोकुलमें वास॥ तेरा ही र...

षोडश गीत

          .            .          (२ )               श्रीराधाके प्रेमोद्गार—श्रीकृष्णके प्रति (राग रागेश्वरी-ताल दादरा) हौं तो दासी नित्य तिहारी। प्राननाथ जीवनधन मेरे, हौं त...

षोडश गीत

                              (१)         श्रीकृष्णके प्रेमोद्गार—श्री राधा के प्रति                 (राग मालकोस-तीन ताल) राधिके ! तुम मम जीवन-मूल। अनुपम अमर प्रान-संजीवनि, न...

षोडश गीत

                श्रीराधा-माधव-रस-सुधा                          [षोडश-गीत]                  महाभाव रसराज वन्दना  दो‌उ चकोर, दो‌उ चंद्रमा, दो‌उ अलि, पंकज दो‌उ। दो‌उ चातक, दो‌उ म...

सत्संग के बिखरे मोती