[ २६ ]
राग कालिंगड़ा—ताल
कहरवा
जयति राधिकाजीवन,
राधा-बन्धु,
राधिकामय
चिद्घन।
जय राधाधन, राधिकाङ्ग,
जय
राधाप्राण,
राधिका-मन॥
जय राधा-सहचर, जय
राधारमण,
राधिका-चित्त-सुचौर।
जय राधिकासक्त-मानस,
जय
राधा-मानस-मोहन-मौर॥
जय राधा-मानस-पूरक,
जय
राधिकेश,
राधा-आराध्य।
जय राधाऽराधनतत्पर,
जय
राधा-साधन,
राधा-साध्य॥
जय सब गोपी-गोप-गोपबालक-गोधनके
प्राणाधार।
जय गोविन्द गोपिकानन्दन पूर्ण
सच्चिदानन्द उदार॥
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