भगवन्नाम के मूल्य पर एक दृष्टान्त एक श्रद्धालु भक्त प्रतिदिन गांव के बाहर एक महात्मा के पास जाया करता था। जब महात्मा की सेवा करते-करते उसे बहुत दिन बीत गये तब महात्मा ने उसे अधिकारी समझकर कहा कि ' वत्स! तेरी मति भगवान में है , तू श्रद्धालु है , गुरु सेवापरायण है , कुतार्किक आलसी नहीं है , शास्त्र वचनों में विश्वास है , किसी का बुरा नहीं चाहता , किसी से घृणा और द्वेष नहीं करता , सरल-चित्त है , काम , क्रोध , लोभ से डरता है , संतों का उपासक है और जिज्ञासु है ; इसलिये तुझे एक ऐसा गोपनीय मन्त्र देता हूँ जिसका पता बहुत ही थोड़े लोगों को है। यह मन्त्र परम गुप्त और अमूल्य है , किसी से कहना नहीं! ' यों कहकर महात्मा ने उसके कान धीरे से कह दिया ' राम ' । श्रद्धालु भक्त मन्त्रराज ' राम ' का जप करने लगा। वह एक दिन गंगा नहाकर लौट रहा था तो उसका ध्यान उन लोगोंकी तरफ गया तो हजारों की संख्या में उसी की तरह गंगा नहाकर जोर-जोर से ' राम-राम ' पुकारते चले आ रहे थे। सुनता तो रोज ही था परंतु कभी इस ओर उसका ध्यान नहीं गया था। आज ध्यान जाते ही उसके मन में यह विच
Shri Hanuman Prasad Ji Poddar - bhaiji (First Editor of Kalyan Magzine, Gitapress) pravachan, literature, and book content is posted here.